आज हम भारत के प्रमुख झील (List of important Lakes in India) के विषय में चर्चा करेंगे. ऐसे सवाल प्रायः UPSC, SSC या रेलवे परीक्षा में आते रहते हैं…या तो मिलान करो के रूप में या तो ऑप्शन में राज्य के नाम दिए रहते हैं और किसी विशेष झील के बारे में सवाल रहता है. यदि आप इस लिस्ट को याद कर लें तो अच्छा रहेगा क्योंकि एक न एक सवाल इस टॉपिक से हर वर्ष आता ही है. वैसे सच कहूँ तो झीलों के नाम सुनने में काफी अटपटे हैं इसलिए इन्हें याद कर पाना टेढ़ी खीर है. आप चाहे तो कोई शोर्ट ट्रिक अपना सकते हो. यदि आपके पास कोई शोर्ट ट्रिक है तो कमेंट में जरुर शेयर करें. और यदि आप जिस राज्य में रहते हो और आपको किसी ऐसे lake का नाम पता है जो इस लिस्ट में नहीं है तो प्लीज उसे comment में जरुर शेयर करें ताकि मैं उनका नाम ऐड कर सकूँ. यदि इस पोस्ट में कोई गलती है तो उसे भी mention जरुर करें.
भारत में झीलों की संख्या अधिक नहीं है. हिमालय में अन्य पर्वतीय प्रदेशों की तुलना में बहुत कम झीलें पाई जाती हैं. झीलों का निर्माण अनेक कारणों से होता है. भारत में झीलों को हिमालयी, राजस्थान की तथा दक्षिण भारत की झीलों में वर्गीकृत किया जा सकता है.
Types of Lakes in India
- भू-गर्भिक क्रिया से बनीं झीलें :- पहाड़ों से बर्फ, पत्थर आदि भूमि पर गिरने से धरातल पर विशाल गड्ढे बन जाते हैं. इनमें जल भरने से जो झीलें बनती हैं, उन्हें भू-गर्भिक क्रिया से बनीं झीलें कहते हैं. कश्मीर की वूलर और कुमायूँ की अनेक झीलें इसी प्रकार की हैं.
- ज्वालामुखी क्रिया से निर्मित झीलें :- ज्वालामुखी विस्फोट से उत्पन्न क्रेटर या काल्डेरा में जल भरने से झील बनती हैं. महाराष्ट्र में Buldhana District की लोनार झील इसी प्रकार से बनी है.
- हिमानी निर्मित झीलें :- हिमनदों द्वारा निर्मित गर्तों में हिम के पिघले हुए जल से इस प्रकार की झीलों का निर्माण होता है. कुमायूँ हिमालय में Lake Rakshastal, Bhimtal Lake, Naukuchiata, नैनीताल आदि झीलें इसके प्रमुख उदाहरण हैं. कभी-कभी हिमनदी के पिघले जल से “हिमोढ़ झीलों” (morane lakes) का निर्माण होता है. पीरपंजाल श्रेणी के उत्तरी-पूर्वी ढालों पर ऐसी ही झीलें पाई जाती हैं.
- पवन-क्रिया से बनीं झीलें :- मरुस्थल में पवन क्रिया से अपवाहन गर्त (Blowouts) बन जाते हैं. वर्षाकाल में इनमें जल भर जाता है. वाष्पीकरण अधिक होने से सतह पर लवण की परतें एक जगह इकठ्ठा हो जाती हैं और फलस्वरूप खारी झीलें बन जाती हैं. राजस्थान की साम्भर, डीडवाना, पंचभद्रा ऐसी ही झीलें हैं.
- घुलन क्रिया से निर्मित झीलें :- चूना पत्थर, जिप्सम, लवण आदि घुलनशील शैलों के प्रदेश में जल की घुलन क्रिया से ये झीलें उत्पन्न होती हैं. असम में ऐसी झीलें पायी जाती हैं.
- भू-स्खलन से निर्मित झीलें :- पर्वतीय ढालों पर बड़े-बड़े शिलाखण्डों के गिरने से कभी-कभी नदियों के मार्ग रुक जाते हैं और इनमें जल एकत्रित होने लगता है और अंततः झील बन जाती है. अलकनंदा के मार्ग में शैल-स्खलन से गोहाना नामक झील का निर्माण हुआ था.
- विसर्प झीलें :- मैदानी क्षेत्र में नदियाँ घुमावदार मार्ग से प्रवाहित होती हैं. जब इन मोड़ों के सिरे कट जाते हैं और नदी सीधे मार्ग से बहने लगती है तब विसर्प झीलें बनती हैं. गंगा की मध्य व निचली घाटी में ऐसी अनेक झीलें पाई जाती हैं. पश्चिम बंगाल में उन्हें “बील” (beels) कहते हैं.
- अनूप या लैगून झीलें :- नदियों के मुहाने पर समुद्री लहरों तथा पवनों की क्रिया से बालू के टीले बन जाते हैं. इसके पीछे एकत्रित जल लैगून के रूप में अवशिष्ट रहता है. उड़ीसा का चिल्का झील ऐसा ही है.